लक्ष्मी चालीसा गीत अंग्रेजी और हिंदी में

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घर योग अध्यात्म विश्वास रहस्यवाद विश्वास रहस्यवाद ओइ-प्रेरणा अदिति द्वारा Prerna Aditi 23 मार्च 2021 को

देवी लक्ष्मी को धन, भाग्य, सौंदर्य और समृद्धि की देवी कहा जाता है। वह ब्रह्मांड के रक्षक और पालनहार भगवान विष्णु की पत्नी हैं। माना जाता है कि समुद्र मंथन (समुद्र मंथन) के दौरान देवी लक्ष्मी समुद्र से निकली थीं। लोग अपना आशीर्वाद पाने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वे अक्सर अपने घरों को धन, भाग्य, सुख, आकर्षण और समृद्धि के साथ आशीर्वाद देने के लिए कहते हैं। _



जब देवी लक्ष्मी की पूजा करने की बात आती है, तो आमतौर पर मंत्रों और नारों का उच्चारण करके उनकी पूजा की जाती है। लोग उसे कई तरह के प्रसाद भी चढ़ाते हैं।



यह भी पढ़े: विष्णु चालीसा गीत हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ें

इसके अलावा आप लक्ष्मी चालीसा का जाप कर देवी लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं। यहां चालीसा के बोल हैं। पढ़ते रहिये।



लक्ष्मी चालीसा के बोल

|| दोहा ||

Matu Lakshmi Kari Kripa Karahu Hridae Mein Vaas,

मनोकामना सिद्ध करि पुरवहु किआ आस ||



दोहा

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास,

मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस ||

|| सोरठा ||

Sindhu suta Mein Sumiro Tohi geyan Budhi Vidya Do Mohi,

Tum Samaan Nahi Koi Upkari Sab Vidhi Purbhu Aaas Hamari ||

सोरठा

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही | ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही,

तुम समान नहिं को&zwnjई उपकारी | सब विधि पुरवहु आस हमारी ||

|| Chaupaai ||

जय जय जगत जननी जगदंबा | सब की तुम ही हो हो अवलम्बा,

Tum hi Ho sab Ghat Ghat Ki Vasi | Binti Yahi Hamarii Khasi,

जगजननी जय सिन्धु कुमारी | दीनन की तुम हो हितकारी,

बिनवो नित्य तुमहि महारानी | कृपा करो जग जननी भवानी ||

चौपाई

जय जय जगत जननि जगदम्बा | सबकी तुम ही हो अवलम्बा,

तुम ही हो सब घट घट वासी | विनती यही हमारी खासी,

जगजननी जय सिन्धु कुमारी | दीनन की तुम हो हितकारी,

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी | कृपा करौ जग जननि भवानी ||

केहि विधी स्तुति करो तेहरी | सुधि लीजै अपढ़ बिसारी,

Kripa dristi Chitbahu Mum Ori | Jag Janani Binati Sunn Mori,

Gyan Budhi Jai Sukh Ki Data | Sankat Haro Hamare Mata,

shir Sindhu Jab Vishnu matheyo | Chauda Ratn Sindhu mein payo ||

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।सुधि लीजै अपराध बिसारी,

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी | जगजननी विनती सुन मोरी,

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता | संकट हरो हमारी माता,

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो | चौदह रत्न सिन्धु में पायो ||

Chouda Ratna Mein Tum Sukhrasi | Seva Kiyo Prabhu Bani dasi,

Jab Jab Janam Jahan Prabhu Linha | Roop Badal Tahe Seva Kina,

सिवम विष्णु जब नर तनु धरा | लीनो अवधपुरी अवतारा,

Tab Tum Pragat Janakpur Mahi | Seva Kiyo Hride Pulkahi ||

चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी,

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा | रुप बदल तहं सेवा कीन्हा,

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा | लीन्हे&zwnjउ अवधपुरी अवतारा,

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं | सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ||

Apnaya Tohi Antryami | Vishva vidit Tribhuvan Ki Swami,

तम सब प्रबल शक्ति नहि आना | के लो महिमा कहो बखानी,

Mann Kram Bachan Kare Sevakai | Man vanchint Phal Payi,

Taji Chhal Kapat Aur Chaturai | Puje Vividh Bhanti Manlayi ||

अपनाया तोहि अन्तर्यामी | विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी,

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी | कहं लौ महिमा कहौं बखानी,

मन क्रम वचन करै सेवका&zwnjई | मन इच्छित वांछित फल पा&zwnjई,

तजि छल कपट और चतुरा&zwnjई | पूजहिं विविध भांति मनला&zwnjई ||

Aur Haal Main Kahu Bujhai | Jo Yeh Path Kare Man Layi,

ताको कोई कस्त ना मनन | आयित पावे फाल सोई,

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणी विदेह तप भव बंधन हरिनी,

Jo chalisa Pade Aur Padawe | Dhyan Laga kar Sune Sunave ||

और हाल मैं कहौं बुझा&zwnjई | जो यह पाठ करै मन ला&zwnjई,

ताको को&zwnjई कष्ट न मन | इच्छित पावै फल सो&zwnjई,

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिनित्रिविध | ताप भव बंधन हारिणी,

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै | ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ||

Tako Koi Na Rog Satave | Putr Aadi Dhan Sampati Pave,

पुतरा हीं अरु धन सम्पति हीना | अन्ध वधिर कोरी अति दीना,

Vipr Bulae Ke Path Karave | Shanka dil Mein kabhi Na Lave,

पथ क्रवे दिन चालीसा | ता पर कृपा कृपा गोरिसा ||

ताकौ को&zwnjई न रोग सतावै | पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै,

पुत्रहीन अरु संपति हीना | अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना,

विप्र बोलाय कै पाठ करावै | शंका दिल में कभी न लावै,

पाठ करावै दिन चालीसा | ता पर कृपा करैं गौरीसा ||

Sukh Sampati Bahut Sii Pave | Kamii Nanhi Kahu Kii Aave,

Barah Mash Karen Jo Puja | Ta Sam Dhani Aur Nahi Duja,

प्रीति दिन पथ करि मन मानी | तसम जगत कटहु कोइ नहि,

Bahuvidhi Ka Men Karahu Barai | Lehu Pariksha Dhyan Lagai ||

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै | कमी नहीं काहू की आवै,

बारह मास करै जो पूजा | तेहि सम धन्य और नहिं दूजा,

प्रतिदिन पाठ करै मन माही | उन सम को&zwnjइ जग में कहुं नाहीं,

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ा&zwnjई | लेय परीक्षा ध्यान लगा&zwnjई ||

करि विशवास करे व्रत नेमा | होइ सिद्ध उपजे अति प्रेमा,

Jai Jai Jai Lakshmi bhwani | Sab Mein Veapit ho Tum Gunn khani,

तुमरो तेज प्रवाल जग माही | तुम सम कोउ दयालु कहु नहि,

मोह अनत की सुधि अब लीजे | संकट कोटि भगति मोहे दीजे ||

करि विश्वास करै व्रत नेमा | होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा,

जय जय जय लक्ष्मी भवानी | सब में व्यापित हो गुण खानी,

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं | तुम सम को&zwnjउ दयालु कहुं नाहिं,

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै | संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ||

भुल चू करु चमा हमरी | दरसन दीजे दशा निहारी,

बिन दर्शन बेयाकुल आदिकारी | तुमि राखत दुख से भारी,

Nahi Mohi gyan Budhi Hai Tann Mein | Sab Janat ho Apne Mann Mein,

Roop Chaturbhuj Karke Dharan | Kasht Morr Ab Karhu Nivaran ||

भूल चूक करि क्षमा हमारी।दर्शन दजै दशा निहारी,

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी,

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में,

रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण,

केहि प्रकार मैं करौं बड़ा&zwnjई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिका&zwnjई ||

II दोहा II

त्राहि त्राहि दुःख हरिणी | हरहु बेग सब त्रास।

Jayati Jayati Jai Lakshmi | Karhu Shatru Ko Nash,

रामदास धारी ध्यान नित | विना करत कर जोर,

मातु लक्ष्मी दास के बारे में | करहु दीया के कोर ||

दोहा

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास,

जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश,

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर,

मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर ||

कल के लिए आपका कुंडली

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